हम सभी संस्कृत को एक भाषा के तौर पर जानते तो हैं, लेकिन उसका इस्तेमाल न के बराबर करते हैं। आज के समय में यदि कोई संस्कृत में बात करता दिख जाए, तो उसे एक अलग नजर से ही देखा जायेगा। लेकिन कर्नाटक के एक गाँव मत्तूर में लोग आज भी संस्कृत में ही बात करते हैं।
संस्कृत पूरे विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक है। प्राचीन भारत में मुख्य रूप से संस्कृत ही लिखी, पढ़ी व बोली जाती थी। वेद, ग्रंथ, पुराण व उपनिषद् ये सभी संस्कृत भाषा में ही लिखे गये। संस्कृत भाषा का प्रभाव विश्व की अन्य भाषाओं पर भी रहा है; जैसे कि अंग्रेजी का शब्द 'man', संस्कृत के शब्द 'मनु' से बना है। लेकिन समय के बदलने के साथ-साथ इस भाषा का महत्व कम होता चला गया और ये सिर्फ विद्यालयों व किताबों तक सिमट कर रह गयी। इन सब के बावजूद मत्तूर गाँव ने इस प्राचीन भाषा को आज भी ज़िन्दा रखा हुआ है। शिमोगा जिले में तुंगभद्रा नदी के किनारे बसे इस गाँव में हर एक इंसान संस्कृत बोलता नजर आ जायेगा। यहाँ पर संस्कृत बोलचाल की भाषा है; ठीक उसी तरह जैसे हिन्दी, भोजपुरी, गुजराती, बंगाली व अन्य भाषायें हैं।
ऐसा माना जाता है कि मत्तुर भारत का आखिरी ऐसा गाँव है, जहाँ संस्कृत बोली जाती है। इस गाँव के सभी निवासी वैदिक जीवन व्यतीत करते हैं अर्थात् वो संस्कृत के ग्रंथों का सदैव पाठ करते हैं। यहाँ पर संस्कृत बोलने वाला शख्स कहीं भी और कभी भी देखा जा सकता है। दुकानदार और पंडित से लेकर छोटे बच्चे तक धड़ाधड़ संस्कृत बोलते हैं। और तो और, यहाँ पर तो कई लोग मोबाईल पर भी संस्कृत में बात करते दिख जायेंगे।
संस्कृत बोलने की वजह से यह गाँव बाहरी लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बहुत से लोग दूसरे शहरों से यहाँ संस्कृत सीखने आते हैं। मत्तूर के एक आचार्य के अनुसार, अब तो वे विदेशी लोगों को भी संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं; जो लोग इस गाँव में नहीं आ पाते, उन्हें 'skype' पर शिक्षा दी जाती है। ये इस बात का प्रमाण है कि मत्तूर के निवासियों ने वैदिक परंपरा को तो बनाये ही रखा है, साथ में वो आजकल की technology से भी up-to-date हैं।
शिक्षा के बाकी क्षेत्रों में भी मत्तूर पीछे नहीं है। यहाँ के लगभग हर परिवार में एक साॅफ्टवेयर इंजीनियर है और भी बहुत से छात्र मेडिकल, कला व विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा इस गाँव के कुछ व्यक्ति संस्कृत के प्रोफेसर के तौर पर भी विश्वविद्यालयों में कार्यरत हैं।
ऐसा माना जाता है कि मत्तुर भारत का आखिरी ऐसा गाँव है, जहाँ संस्कृत बोली जाती है। इस गाँव के सभी निवासी वैदिक जीवन व्यतीत करते हैं अर्थात् वो संस्कृत के ग्रंथों का सदैव पाठ करते हैं। यहाँ पर संस्कृत बोलने वाला शख्स कहीं भी और कभी भी देखा जा सकता है। दुकानदार और पंडित से लेकर छोटे बच्चे तक धड़ाधड़ संस्कृत बोलते हैं। और तो और, यहाँ पर तो कई लोग मोबाईल पर भी संस्कृत में बात करते दिख जायेंगे।
संस्कृत बोलने की वजह से यह गाँव बाहरी लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बहुत से लोग दूसरे शहरों से यहाँ संस्कृत सीखने आते हैं। मत्तूर के एक आचार्य के अनुसार, अब तो वे विदेशी लोगों को भी संस्कृत की शिक्षा दे रहे हैं; जो लोग इस गाँव में नहीं आ पाते, उन्हें 'skype' पर शिक्षा दी जाती है। ये इस बात का प्रमाण है कि मत्तूर के निवासियों ने वैदिक परंपरा को तो बनाये ही रखा है, साथ में वो आजकल की technology से भी up-to-date हैं।
शिक्षा के बाकी क्षेत्रों में भी मत्तूर पीछे नहीं है। यहाँ के लगभग हर परिवार में एक साॅफ्टवेयर इंजीनियर है और भी बहुत से छात्र मेडिकल, कला व विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इसके अलावा इस गाँव के कुछ व्यक्ति संस्कृत के प्रोफेसर के तौर पर भी विश्वविद्यालयों में कार्यरत हैं।
( फोटो- विकिपीडिया )
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