Friday 22 September 2017

विज्ञान की समझ को आसान बनाते विज्ञान केंद्र

विज्ञान का संसार बहुत ही बड़ा है और ये विषय मानवीय सभ्यता के विकास के साथ-साथ कई रोचक तथ्यों को भी अपने आप में समेटे हुए है। जैसे कि इंद्रधनुष का बनना, सूर्य या चन्द्र ग्रहण का लगना और भी बहुत कुछ। वैसे तो हम अपने आस-पास हर वक्त विज्ञान से ही रुबरू रहते हैं, लेकिन विज्ञान द्वारा निर्धारित इन प्राकृतिक क्रियाओं को हर एक आम इंसान नहीं समझ पाता। विज्ञान की इसी समझ को आसान बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद् द्वारा देश भर में 49 विज्ञान केंद्रों की स्थापना की गई। ये विज्ञान केंद्र आम लोगों को भी सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करता है और उसके मन में भी विज्ञान के प्रति रूचि पैदा करता है।
    
  नई दिल्ली में प्रगति मैदान के पास भैरों मार्ग पर स्थित 'राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र' इन्हीं 49 विज्ञान केंद्रों में से एक है। विज्ञान से संबंधित प्राचीन काल की जानकारियों से लेकर 21वीं सदी के डिजिटल युग तक, हर कुछ देखने व सुनने को मिलेगा इस विज्ञान केंद्र में। यहाँ पर आप विज्ञान के प्रयोगों को खुद भी कर के देख सकते हैं, उपकरणों को छू सकते हैं और यहाँ आपको कोई कुछ नहीं बोलेगा। यहाँ आप ये देख सकते हैं कि कैसे पियानो को बिना छुए, बस हवा में हाथ घुमाने से ही पियानो बजने लगता है। दरअसल ये इंफ्रारेड किरणों के कारण होता है। वहाँ जाकर आप इन सब के पीछे छिपे संपूर्ण तथ्यों को भी जान सकते हैं।
        
 इस विज्ञान केंद्र में 'हमारी वैज्ञानिक और प्रोद्यौगिक धरोहर' नाम का एक सेक्शन है, जिसमें प्राचीन भारत के वैज्ञानिक विकास को दिखाया गया है। इस सेक्शन में अनेक भारतीय वैज्ञानिकों जैसे आर्यभट्ट, कणाद, नागार्जुन की उपलब्धियों को भी दर्शाया गया है। इसके अलावा शल्य चिकित्सा व सुश्रुत द्वारा बनाये गये उपकरणों के माॅडल भी यहाँ देखने को मिल जायेंगे। 


 इसके आगे 'मानव जीव विज्ञान' नाम का एक सेक्शन है, जहाँ हमारे शरीर से संबंधित अनेक जानकारियाँ दी गयी हैं। थोड़ा और आगे जाने पर प्रागैतिहासिक काल से भी जुड़ी चीजें देखने को मिलती हैं। 
       
       'सूचना का इतिहास' नामक एक सेक्शन में बहुत ही रोचक वस्तुएँ देखने को मिलती हैं। ये सेक्शन उन युवाओं को काफी मजेदार लगेगा, जो 20वीं सदी के अंत में पैदा हुए। क्योंकि पुराने जमाने कि बहुत सी ऐसी वस्तुएँ यहाँ रखी हुयी हैं, जो कि हमें उसी समय में लेकर चली जाती हैं। जैसे कि पहले के तार घर, लाईट हाउस, रेलवे स्टेशन के पुराने माॅडल, पुराने कैमरे, पुराने वाद्य यंत्र और भी बहुत कुछ। इस सेक्शन के आगे बढ़ने पर हम 'डिजिटल क्रांति' नाम के एक सेक्शन में प्रवेश करते हैं और ये सेक्शन डिजिटल दुनिया के विकास को प्रदर्शित करता है। यहाँ पर पहले के वो कम्यूटर भी रखे हुए हैं, जो कि आकार में बहुत बड़े होते थे और उनकी स्पीड कम होती थी। साथ ही साथ आजकल के आधुनिक कम्प्यूटर व स्मार्टफोन भी मौजूद हैं। इस सेक्शन में डिजिल इलेक्ट्राॅनिक्स से संबंधित कई कंपोनेन्ट्स जैसे IC(Integrated Circuit), transistors  के बारे में भी बताया गया है।
  
   इस सेक्शन के नीचे आने पर हमें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों के विकास की झलक देखने को मिलती है। इसके बाद का सेक्सन इतिहास व राजनीति से संबंधित है; जहाँ आॅडियो व विडियो के माध्यम से बहुत से नेताओं के भाषण, देश-दुनिया की तमाम जानकारियाँ देखने व सुनने को मिलती हैं।
      
 नई दिल्ली के अलावा कोलकाता, मुबंई, लखनऊ जैसे शहरों में भी इसी तरह के विज्ञान केंद्रों की स्थापना की गयी है। जहाँ पर विज्ञान को जानने व समझने के लिए मजेदार तरीकों का उपयोग किया गया है। लखनऊ के अलीगंज में स्थित 'आंचलिक विज्ञान नगरी' में आंतरिक प्रदर्शनी के अलावा बाहर खुले में भी विज्ञान के कई उपकरण रखे गये हैं, जो कि विज्ञान के नियमों को आसानी से समझाते हैं। यहाँ सबसे रोचक एक नल है जो कि हवा में लटका हुआ है और वहाँ से पानी लगातार गिरता ही रहता है। यहाँ आने वाले सभी पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र यही नल है। अब इसके पीछे माँजरा क्या है, ये तो वहाँ जा कर ही पता लगेगा। 
       
       तो जो लोग विज्ञान के इस रोचक संसार को करीब से जीना चाहते हैं, उसे जानना व समझना चाहते हैं, इतिहास को जीवित रूप में देखना चाहते हैं, ऐसे लोगों को इन विज्ञान केंद्रों के दर्शन जरूर करने चाहिए और अपनी सोच व समझ को विकसित करना चाहिए।

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