Friday, 14 October 2016

कश्मीर- एक अनसुलझी कहानी

भारत और पाकिस्तान के बीच अभी तक चार युद्ध हो चुके हैं और इसमें से लगभग तीन बार इन युद्धों का कारण कश्मीर रहा है। सारे युद्ध में पाकिस्तान को हार का ही सामना करना पड़ा। लेकिन कश्मीर के कुछ क्षेत्रों में पाकिस्तान का अवैध कब्जा है, जिसे हम पाक अधिकृत कश्मीर(POK) के नाम से जानते हैं और अभी भी पाकिस्तान कश्मीर को लेकर कोई ना कोई मुद्दा उठाता ही रहता है। इस विवाद की शुरूआत सन् 1947 में शुरू हुयी, जब भारतीय रियासतों के विलय हो रहे थे। जम्मू व कश्मीर जैसे कुछ रियासत विलय में देरी लगा रहे थे। इस बात का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने अपनी सेना को कबाइली लुटेरों के भेष में कश्मीर भेज दिया। चूँकि कश्मीर की सीमा पाकिस्तान से लगती थी, इसलिए वे वहाँ पर कब्जा जमाना चाहते थे। पाकिस्तानी सेना ने वहाँ बहुत से लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इस बात से घबराकर वहाँ के शासक महाराजा हरिसिंह ने भारत से मदद माँगी व अपनी रियासत के भारत में विलय की घोषणा कर दी। लेकिन उन्होंने यह निर्णय बहुत ही देरी से लिया, जिसके चलते पाकिस्तान ने लगभग आधे कश्मीर पर कब्जा कर लिया। इसके बाद भी भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को सबक सिखाते हुये, कई क्षेत्रों को पुनः प्राप्त कर लिया था, लेकिन तभी माननीय नेहरू जी के UNO में अपील करने के कारण युद्ध विराम की घोषणा हो गयी। जिसके कारण भारतीय सेना कश्मीर को दोबारा प्राप्त करने में असफल रही और आज तक वो क्षेत्र पाकिस्तान के कब्जे में है, जिसका खामियाजा आये दिन हमारे देश को भुगतना पड़ रहा है। ऐसे ही 1971 के युद्ध में इंदिरा गांधी के पास भी एक मौका था, जब पाकिस्तान की सेना के 1 लाख सैनिकों ने भारत की सेना के सामने समर्पण किया था। यदि वे चाहती तो कश्मीर की समस्या को हल कर सकती थी लेकिन ये मौका भी इंदिरा गांधी ने गँवा दिया और 1 लाख सैनिकों को छोड़ दिया।
     नेहरू जी व इंदिरा गांधी के इस गलत निर्णय के कारण आज कश्मीर का वो इलाका आतंकवादियों का गढ़ बन चुका है। यहीं से ये आतंकवादी तमाम गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं और घाटी में हिंसा फैला रहे हैं। कहने को तो POK की एक अलग सरकार है और वहाँ पर एक प्रधानमंत्री भी है, लेकिन सारा नियंत्रण पाकिस्तान के हाथ में है। वहाँ के लोग बहुत ही दुःख भरी जिन्दगी जी रहे हैं। आलम तो यह है कि POK के कई मुस्लिम परिवारों ने भारत में शरण ले रखी है। लंदन के रिसर्चरों के द्वारा वहाँ के कुछ जिलों में कराये गये सर्वे के अनुसार एक व्यक्ति ने भी पाकिस्तान के साथ खड़े होने की वकालत नहीं की। वकालत वही लोग कर रहे हैं, जो कट्टरपंथी व अलगाववादी है। यही वे लोग हैं, जो आये दिन दंगा फसाद करते रहते हैं। ये लोग वहाँ पर अमन व शांति नहीं चाहते हैं। अब तो धीरे-धीरे POK के कुछ हिस्से पर चीन भी कब्जा जमा रहा है, लेकिन इस बात से तो कट्टरपंथियों को कोई मतलब ही नहीं है, उन्हें तो बस भारत से ही परेशानी है। भारत भी अब चुप नहीं बैठने वाला, सर्जिकल स्ट्राईक के जरिए भारतीय सेना ने POK में कई आतंकियों को मार गिराया और उनके ठिकानों को तबाह कर दिया। हमें भारतीय सेना व सरकार के इस निर्णय पर गर्व है। जरूरत है तो ऐसे ही कुछ और मिशन की जिससे कि कश्मीर आतंकियों के गढ़ से मुक्त हो सके और वापस हम इसे प्राप्त कर सकें और वहाँ के लोग हिंसा से मुक्त हो सकें। इसके लिए हो सकता है कि बेशक हमें एक युद्ध लड़ना पड़े, लेकिन इसके बाद आगे हमें इन मुद्दों पर बहस नहीं करना पड़ेगा। पिछली सरकारों ने जो गलतियां की, उन्हें अब दोहराना नहीं चाहिए, व राजनीति से दूर हटकर इसपर एक सख्त फैसला लेना चाहिए।

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