Sunday 28 January 2018

आधुनिक परिवेश में प्राचीन भारतीय ज्ञान के दर्शन कराती 'द कृष्णा की' (कृष्ण कुंजी)


The Krishna Key
अश्विन सांघी के बारे में मैंने अखबारों व मैग्जीनों में काफी पढ़ा हुआ था। लेकिन अभी तक मैंने इनके द्वारा लिखी गयी कोई किताब नहीं पढ़ी थी। पिछले महीने मैंने इनकी किताब 'द कृष्णा की (कृष्ण कुंजी) को पढ़ना शुरू किया। इस किताब को चुनने का मुख्य कारण इसका टाइटल ही था। जो कि भगवान कृष्ण के साथ जुड़ा हुआ था। जब मैंने इसे पढ़ना शुरू किया तो कुछ ही पन्ने पढ़ने के बाद मैं रोमांचित हो उठा और आगे पढ़ने पर कई रोचक तथ्य सामने आते चले गये। इस किताब में लेखक ने आधुनिक समय की कहानी के साथ-साथ प्राचीन इतिहास खासकर महाभारत के समय काल (सिंधु घाटी सभ्यता) व उस दौर की कथाओं का भी वर्णन किया है जो इसे और भी मजबूत स्तंभ प्रदान करता है। इन सब के बीच में भगवान कृष्ण बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका में और इस पूरे किताब के केंद्र में हैं।

हममें से बहुत लोगों ने आज तक अध्यात्म, धर्म व विज्ञान को एक नजरिये से कभी भी नहीं देखा है। कुछ लोग धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं, वहीं कुछ विज्ञान को महत्व देते हैं। इन सभी के लिए तो ये दोनों, दो धूरियों पर स्थित अलग-अलग बिंदु हैं, जिनका कभी मिलन हो ही नहीं सकता। लेकिन इस किताब को पढ़ने के बाद लोगों की सोच शायद बदल जाये। इसमें लेखक ने आधुनिक विज्ञान व वैदिक ज्ञान के बीच के संबंधों को खोज निकला है और इन संबंधो को ठोस तर्कों का प्रयोग करते हुए प्रस्तुत किया है। जैसे कि एक जगह लेखक ने प्राचीन ऋषियों की साधना को और ॐ की ध्वनि के महत्व को विज्ञान की भाषा में समझाया है। इसी तरह के कई और भी संबंध हमें इस किताब में पढ़ने को मिलेंगे। बेशक उनके लिए ये कोई आसान काम नहीं रहा होगा, इसके लिए लेखक ने बहुत शोध और गहन विचार किया होगा। जिसका नतीजा ये शानदार किताब आज हमारे बीच मौजूद है, जो कि हमें दोबारा सोचने व खोजने पर मजबूर कर देती  है। सिंधु घाटी सभ्यता के अलावा लेखक ने दूसरे कालों व स्थानों के बारे में भी बेहतरीन तथ्य प्रस्तुत किये हैं। जैसे कि द्वारिका, सोमनाथ, कैलाश, आगरा, ताजमहल, राजस्थान इन सभी स्थानों के बारे में भी काफी कुछ बताया गया है और ये सब कहानी से ही सरोकार रखते हैं।  इसके साथ-साथ हमें इस किताब में अंकों, नक्शों व चिह्नों का भी अद्भुत खेल देखने को मिलेगा। इन सभी अंकों के पैटर्नों व चिह्नों का संबंध भी प्राचीन भारतीय सभ्यता से जुड़ा हुआ है और इनका प्रयोग इस किताब को और भी रोचक बना देता है।

हम सभी इतना तो जानते हैं कि हमारा प्राचीन ज्ञान-विज्ञान बहुत ही समृद्ध रहा है, लेकिन हम अपना ज्ञान धीरे-धीरे भूलते चले गये और दूसरों के पीछे-पीछे चलने लगे। ये सब जानते हुए भी हम इससे अनजान बनते हैं और आज भी हमारे देश में वेदों, पुराणों के अध्ययन को धर्म से जोड़कर देखा जाता है, न कि एक ज्ञान के स्रोत के रूप में। हमारे इस प्राचीन ज्ञान के महत्व को अश्विन सांघी ने एक पुस्तक के माध्यम से उजागर किया है। भले ही ये किताब एक फिक्शन बुक हो, लेकिन इसके माध्यम से हमें अपने इतिहास व संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलता है।