लोकतंत्र क्या हर मायने में सही है ? हमें इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे हमारे देश व समाज का भविष्य जुड़ा हुआ है। यह जरुरी है कि किसी देश में शासन जनता के द्वारा होना चाहिए, लेकिन क्या यह जरुरी नहीं कि शासन करने वाला समझदार हो, ईमानदार हो अपने नागरिकों की सेवा करने वाला हो ?
यहाँ तो आलम यह है कि किसी को भी चुनाव में टिकट मिल जाता है भले ही उसकी देश, दुनिया, अर्थव्यवस्था इत्यादि के बारे में जानकारी शून्य हो। सबसे शर्म की बात तो यह है कि कुछ मूर्ख लोग जातिवाद तथा अन्य कारणों से इन्हें वोट देते हैं और ये सभी नेता सत्ता में आ जाने के बाद हम सभी को मूर्ख बनाते हैं । ऐसे नेता वास्तव में देश के लिए कुछ करना नहीं चाहते बल्कि वे तो अपने स्वार्थ के लिए यहाँ पर आते हैं। यही लालची भ्रष्टाचार करते हैं तथा हमारे देश की अर्थव्यवस्था व नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खराब करते हैं।
इस समय देश की जिम्मेदारी हम युवाओं के कंधे पर है क्योंकि यदि हम आगे बढ़ेंगे तभी दूसरे लोग भी हमसे सीखेंगे तथा फिर वे भी अपना कदम बढ़ायेंगे। हमें ही लोकतंत्र की नयी परिभाषा को तय करना होगा तथा यह बताना होगा कि लोकतंत्र में कौन शासन करते हैं, किसके लिए शासन करते हैं तथा कैसे शासन करते हैं।
यहाँ पर तो ये पैसों के भूखे लोग पैसों के लिए ही सबकुछ करते हैं। उनके लिए तो राजनीति बस एक खेल है, जिसमें उनका मन भी लगा रहता है और आमदनी भी होती रहती है। उन्हें इस देश व जनता की कोई परवाह नहीं होती है, वे हमें बस एक माध्यम बना कर इस्तेमाल करते हैं। बेशक कुछ राजनेताओं ने अपनी प्रतिभा से देश के विकास में मदद की है तथा अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जो ईमानदार व देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के लिए पूर्ण रुप से समर्पित हैं। लेकिन इनके सभी बातों को स्वीकार नहीं किया जाता क्योंकि इनके ऊपर भी कुछ महान लोग हैं जो अपने फायदे के लिए गलत कार्य करते हैं।
इन सब के उपाय के लिए हमें एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए जिसमें सबको चुनाव लड़ने की आजादी न हो , चुनाव सिर्फ वही लड़ सके जिसे आर्थिक, सामाजिक व विकास की विभिन्न नीतियों के बारे में पूर्ण जानकारी हो। इसके लिए हमें इनकी परीक्षा ली जानी चाहिए जो कि प्रायोगिक हो। जैसे कि इन्हें टिकट देने से पहले किसी क्षेत्र में भेजकर कोई task पूरा करने के लिए दिया जाना चाहिए और यदि वह उसमें सफल होता है तभी उसे चुनाव लड़ने हेतु योग्य माना जाएगा। जब हम IAS, PCS के लिए परीक्षा ले सकते हैं तो फिर इनके लिए क्यों नहीं, आखिर ये उनसे ऊपर हैं।
यहाँ तो आलम यह है कि किसी को भी चुनाव में टिकट मिल जाता है भले ही उसकी देश, दुनिया, अर्थव्यवस्था इत्यादि के बारे में जानकारी शून्य हो। सबसे शर्म की बात तो यह है कि कुछ मूर्ख लोग जातिवाद तथा अन्य कारणों से इन्हें वोट देते हैं और ये सभी नेता सत्ता में आ जाने के बाद हम सभी को मूर्ख बनाते हैं । ऐसे नेता वास्तव में देश के लिए कुछ करना नहीं चाहते बल्कि वे तो अपने स्वार्थ के लिए यहाँ पर आते हैं। यही लालची भ्रष्टाचार करते हैं तथा हमारे देश की अर्थव्यवस्था व नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खराब करते हैं।
इस समय देश की जिम्मेदारी हम युवाओं के कंधे पर है क्योंकि यदि हम आगे बढ़ेंगे तभी दूसरे लोग भी हमसे सीखेंगे तथा फिर वे भी अपना कदम बढ़ायेंगे। हमें ही लोकतंत्र की नयी परिभाषा को तय करना होगा तथा यह बताना होगा कि लोकतंत्र में कौन शासन करते हैं, किसके लिए शासन करते हैं तथा कैसे शासन करते हैं।
यहाँ पर तो ये पैसों के भूखे लोग पैसों के लिए ही सबकुछ करते हैं। उनके लिए तो राजनीति बस एक खेल है, जिसमें उनका मन भी लगा रहता है और आमदनी भी होती रहती है। उन्हें इस देश व जनता की कोई परवाह नहीं होती है, वे हमें बस एक माध्यम बना कर इस्तेमाल करते हैं। बेशक कुछ राजनेताओं ने अपनी प्रतिभा से देश के विकास में मदद की है तथा अभी भी कुछ ऐसे लोग हैं जो ईमानदार व देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के लिए पूर्ण रुप से समर्पित हैं। लेकिन इनके सभी बातों को स्वीकार नहीं किया जाता क्योंकि इनके ऊपर भी कुछ महान लोग हैं जो अपने फायदे के लिए गलत कार्य करते हैं।
इन सब के उपाय के लिए हमें एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना चाहिए जिसमें सबको चुनाव लड़ने की आजादी न हो , चुनाव सिर्फ वही लड़ सके जिसे आर्थिक, सामाजिक व विकास की विभिन्न नीतियों के बारे में पूर्ण जानकारी हो। इसके लिए हमें इनकी परीक्षा ली जानी चाहिए जो कि प्रायोगिक हो। जैसे कि इन्हें टिकट देने से पहले किसी क्षेत्र में भेजकर कोई task पूरा करने के लिए दिया जाना चाहिए और यदि वह उसमें सफल होता है तभी उसे चुनाव लड़ने हेतु योग्य माना जाएगा। जब हम IAS, PCS के लिए परीक्षा ले सकते हैं तो फिर इनके लिए क्यों नहीं, आखिर ये उनसे ऊपर हैं।