Monday, 5 October 2015

भेदभाव

हमारे देश में भेदभाव बहुत देखने को मिलता है, चाहे उसका आधार जातीय हो, धार्मिक हो या फिर लिंग भेदभाव हो ।
यदि हम लिंग भेदभाव की बात करें तो यह हमारे देश में कुछ ज्यादा ही होता है। भारत के अधिकतर इलाकों में लड़के व लड़कियों में भेदभाव किया जाता है । लड़कियाँ जन्म लेने से पहले ही मार दी जाती हैं। कुछ महानुभावों का मानना है कि लड़कियों के जन्म ले लेने से उनका वंश आगे नहीं बढ़ पायेगा, ऐसा करने के चक्कर में या तो वे लड़कियों को पैदा होने से पहले ही मार डालते हैं या फिर लड़कों की मनसा लिए देश की जन्संख्या बढ़ाने में अपना भरपूर योगदान देते हैं।
कुछ महीने पहिले माननीय प्रधानमंत्री जी ने बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ नामक एक योजना की शुरूआत की थी। इस योजना के अन्तर्गत उन्होंने भ्रूण हत्या पर रोक लगाने तथा बेटियों की शिक्षा के लिए पूर्ण रूप से कोशिश तो की है, परन्तु हमारे देश में पुराने खयालातों वाले लोगों की संख्या इतनी ज्यादा है कि वे न तो इस योजना में अपना योगदान देंगे और न ही इसे सुचारू रूप से चलने देंगे।
हमें यह सोचना चाहिए कि जब तक हम भ्रूण हत्या पर रोक और लड़कियों की शिक्षा और विकास पर जोर नहीं देंगे, तब तक हमारे देश का विकास नहीं हो पायेगा। अतः हमारा यह कर्त्तव्य बनना चाहिए कि हम अपने देश के विकास में पूर्ण योगदान करें एवं लड़के और लड़कियों में कोई अन्तर नहीं समझें।